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हरिलाल थारुक जिन्गिक यात्रा



हरिलाल थारुक जिन्गिक यात्रा


बाट कुछ बरस पहिलक हो ठोर ठोर सँपार हुइहस करल टे संघर्यनसे भेंट करे निकरल रहुँ । २०७८ कार्तिक ३० गते रहे । मोर नेङना धनगढी , पुनर्वास , बेलौरी समके रहे । उहे रोज नेकपा विप्लपके बन्द घोसणा करगिल रहे । मै टिनु ठाउँक बजार घुम्नु सबओर सुनसान रहे । उहे सुनसान-बेलौरि बजारमे गुरुवा हरिलाल से भेंट हुइ पुगल । हम्रे दुनुजे एकठो चिया पसलमे पेल्लि दुनुजे चाह पिटि दु:ख सु:खके बाट करे भिरलि गुरुवा बरे खिट्हर बटैं । जब्सम संगे रहि टबसम् हँसैटि रलैं । हुँकिन से हालखबर पुछ्लेसे घोरुवक् , गुरुवक् , थरुवक् एक्के हाल रहत कटिहुन । 


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इ गुरुवा थारु हरिलाल लालडणिया सिरवार हुँइठ । पतिरा लालडणिया सिरवारके नत्या, जिमदरुवा लालडणिया सिरवारके छावा हरिलालके जलम २०१३ साल, दांङ घोराहि , रतनपुर उ.मा.न.पा. के रतनपुर गाउँमे हुइलक हुइन । हरिलाल एकठो मिल्सार, इमान्दार, मेहेनति समाज सेवामे खटलरना थारु हुँइट । हरिलाल सिरवार थारु गुनविद्याके गुरुवा हुइलक् ओरसे बहुट बेस्त रठैँ । हरिलाल थारु दांङसे कञ्चनपुर सम बहुट गाउँम् पुग्के दुखि बिमारिनके सेवामे रलेसे फेन थारु सँस्कृटि के मनरख्ना हुँइठ थारु पौराणिक गित बाँस टे हुँकार ढेब्रेम झुलल रठिन ।हरिलाल अपन थारु गिट बाँस सँस्कृतिहें बचैले बटैं जात्तिके कना हो कलेसे हरिलालके घेघर टे गिटके बखारि हुँइन । विगट छे बरष पहिलेसे रेडियो सुदुर सञ्चार बेलौरिसे थारु कार्यक्रम हमार सँस्कृति चलैलै । 


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हरिलाल थारु २०४२ सालओर डांङसे अपन सात जहनके परिवार लेके बेलौरि न पा २ दिनापुर गाउँम बसाइ सरल बटैठैं । पनाटिसम देखसेकल गुरुवा हरिलाल अपन बच्पन गोरु भैंस चर्हाके , हर जोंट्के बिटल बटैठैं । करिब १२ बरषके उमेरसे पुर्खा ओइनके संगत ज्याडा होके ओइनके गुनज्ञान तन्त्रमंत्र गित बाँस सिख्लक बटैठैं हरिलाल गुरुवा सथलाल चौधरिके चेला हुँइठ । 



हरिलाल कठैं अपन गुरुसे मैं चार बरष किल रहे पैनु । ओकर पाछे गुरु संसारसे चलगैं हरेक गुरुवनके एकठो चाहाना रठिन कि एक ना एक जहन चेला बनैना । मोर  फेन इच्छ्या इ हे बा मने अबक  पुस्ता असिनमे ध्यान नैलगैठैं दुःख लागट । थारु समाजमे पहिले गुरुवा ओ सोर्हिन्या जरुर हुइपर्ना रहे गुरुवा ओ सोर्हिन्या बिना गाउँमे बैठ्ना बहुट कर्रा रहिन । गाउँक समाज गुरवाहें एकठो भगवानके पठाइल सेवाक समझके मान सम्मान इज्जत करिंठ् अभिन फेन ओत्रै बा मने गुनज्ञानके इच्छुक मनै नै डेख्ठुँ गुरुवा आज बटैं काल नैरहे सेक्ठैं । गुरुवा रहटसम अपन काम कर्टव्य पूरा करहि , नै रहिं ते के करि । जेकर कारन पाछक पुस्ता गुरुवक सेवा सुसार से बन्चित हुइ सेक्ठैं । गुरुवनके करे सेक्ना सेवा झारफुंक, लागुभागु, गुरैपाटि, दिउँटा बनैना, लौसारि कर्ना, घर बहन्ना, खेटिपाटिके हरेरि पुजा, गाउँक रक्षाके लाग ढुरिया पुजा, साँपक बिख् झरना, जरिबुटि डेना, जसिन टामाम काम बटिन । हरिलाल अपन मनक बाट बटैलै ।


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गुरुवनके जिन्गि फेन अनौठो बटिन । सेवाके लाग राट होए चाहा डिन जैहिपर्ना रठिन्  ।  सेवा धरम हो कना विस्वासमे रात दिन अपन दुःख सहके फेन औरेक सेवामे खटल रठैं । गुरुवा लोग औरेक सेवा करे सेक्ना, मने अपन कुछ पर्लेसे अपने करे नैसेक्ना रठिन  । इ सब दुःख उठाके गाउँ समाजके सेवामे लागल रठैं । बास्टबमे गुरुवा अपन घरेक काम करे नैपाइल रठैं । रात दिन साँझ बिहान आछट पाटि हेर्टि ठिक्के रठिन । गुरुवा ओ सोर्हिन्या थारु समुदायक् एकठो अांगके हिस्सामे पर्ठैं कलेसेफेन दुई मेरिक् बाटे नैहो । काहेकि थारु रिटिरिवाजमे गुरुवक् ओ सोर्हिन्यक् मुख्य भुमिका बटिन । मने अबक युगमे गुरुवा ओ सोर्हिन्याके भेलो नैकरलक कारन गुरुवा सोह्रिन्याके इज्जट नै करल डेख्जाइट । गुरुवा ओ सोह्रिन्या हमार अपर झटके लाग चहना ब्याक्ति हुइट थारु नाच गिटमे  गुरुवाके पहिलो भुमिका रठिन । जस्टक गुरुवा बिना करे नै सेक्जिना सखिया नाच , लठ्ठहुवा नाच , बर्का नाचेम गुरुवनके अनिबार्य उपस्थित हुइपर्ना रठिन । अस्टके लग्गनके बेला भोजकाज, मरनि-करनिमे गुरुवनके मुख्य भुमिका रठिन । अस्टक सोर्हिन्या थारुनके बाउँ हाँठ कलेसे फरक नैपरि । 


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सोर्हिन्याहे लरकोरिया जन्निनके लाग हुइही पर्ना रठीन ओ पेटिक लर्का सोझारदेना लर्का जलम लेहेबेर सोर्हिन्यक बरे खोजि रहठ् थारु जाटिम् । लर्का जलम सेकल पाछे लर्कोरियक आंग मर्ना जरुरि रठिन् । थारु चलाउमे सोर्हिन्या हे बहुठ मान मर्जाड करजाइठ् । सोर्हिन्याके कहाइ एक अठवार सम लरकोरियक आंग मर्ना महा जरुरि रठिन् । आंग मर्वा नैपाइल जन्नि टुट जैठैं ओ पाछे भारि असर पर्ठिन । हमार थारु जाटिम् किल नाहि अन्य जाटिम् फेन गुरुवा ओ सोर्हिन्याके महा जरुरिडेखा परठ । गुरुवा ओ सोर्हिन्या हमार समाजके दाहिन ओ बाउँ हाँठ जस्टे हुँइठ । उहे ओर्से जोन गाउँमे गुरुवा थारुवा ओ सोर्हिन्या गोसिन्या रलेसे उ गाउँ बरे सुख शान्ति रहठ । टबे मारे हम्रे गुरुवा ओ सोर्हिन्याके दुःख पिर बुझके ओइनके जिन्गिहें गहिंरसे सोंचे पर्ना बा नाहि कि आझुसे हम्रे ओइनके अबस्था बुझ्के हाँठक् पख्रा कसके भिरेपर्ना जरुरि बा । ओराइल । 


संगम चौधरी...✍️

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