बनजरियामे साहित्य

बाट २०७५ साल १७ गतेक हो । जोन मोर कबु बिस्राइ नै सेक्ना रोज बनल बा । जब कि मै भरखर साहित्यिक यात्रामे गोमहन्या भरल रहुँ । मजा लागे संपार हुइटिकिल पहर्ना ओ लिख्ना काम होय । 


बनजरियामे साहित्य


ढेर बरस पाछे फेनसे मै एकठो संस्मरण सिरजाइ जाइटुँ, अपन मुझाइल मनहे फेनसे डहकारके जिउगर बनाइटुँ । 


बाट बनजरिया गाउँक हो । इ गाउँक नाउँ मोर लाग लावा रहे । सागर सर महि सुनैले रहिंट बनजरियामे साहित्यिक कार्यक्रम हुइना बा जरुर अइबि, भारी भारी साहित्यकार आइकलाग बटैं कहिके । मै नाउसे ओ ओइनके लिखल रचनासे किल चिन्हल चुन्हुँ ओहे मनै हमारे कंचनपुर बनजरिया मे आइटै टे बरेखुशिक बात  रहे। 


मोर रहर खासे भारि सभामे जैना मन नैरलेसेफेन भेट करक मारे जैना मन बनैनु । तर एकओर मै चर्च छोरे नैसेक्ना मनै जोन मोर अन्धार जिन्दगिहे ओजरार बनैना बाइबलके वचन जोन मोर मनहे आनन्दिट ओ मिठास बनैटि रहट । उ रोज ठिक्के कार्टिक १७ गटे सनिच्चर परल रहे । मै बनजरिया मे हुइटि रहल राष्टिय साहित्यक कार्यक्रम मे जैना योजना बनैनु टर ज्याडा चिन्ता सँगति कहाँ लेना उ रहे।  


बनजरियामे साहित्य


मै अपन चर्चके पास्टरसे बाट कर्नु । कि संगटि कै बजे लागट ? उ बटैलै बिहान ठिक १० बजे । ओहर कार्यक्रम फेन १० बजे से सुरु हुइना रहे । मै १६ गते सन्झा जो अपन सक्कु कार्यक्रमके सेदुल मिला सेकल रहुँ । अब मै अपन बन्जरिया ओरिक यात्राओर लागटुँ। बनजरिसया हमार गाउँसे करिब २ घण्टा साइकिल यात्रा मे लागट । अपन गाउँ पुनर्वास से लाल झाडि बनुवा छिरके जाइ पर्ना रहे । सुक्कर के रोज ठोर ठोर जार हस फेन रहे । मनै गहुँ बोइना सुर सार करे लागल रहिंट । एक ओर मोर फेन ओस्टे काम रहे । बाँझो खेटवट रहे गहुँ बोइना टयारी करेपर्ना रहे । २/३ बरस पहिले किल सागर सर से परिचय हुइलक रहे ओ महि साहित्यिक क्षेत्रमे उहे नेगे सिखाइ टहिट । 


मै सागर सरके बाट हे नाहि कहे नै सेकु । मै सक्कु टयारीके साथ २०७५ साल कार्टिक १६ गते सन्झाके साईकिल ओ झोला लेके निकर गैनु । उ रोज बरे सांसट लग्मा मेरिक यात्रा रहे २ घण्टा साकिल चलाके जाइ पर्ना रहे । उहे फेन एकठो लडिया ओ एकठो बनुवा पार करके पुग्ना रहे । टब फेन दु:ख पाछे सफल्टा जरुर मिलट सोचके बनुवा फँटुवा लडिया पार कारकर्टि पस्ना पसिन हुइटि बेरिजुन बनजरिया पुगल रहुँ । 


बनजरियामे साहित्य


बनजरिया मे मोर पहिला पैला रहे कलसे फरक नै परि काहेकि मै कबु फेन इ गाउँ ठाउँमे नै गैल रहुँ । बनजरियामे मोर पहिला कडम रहे , मोर ना डेखल ना सुनल उहे फेन अंधार होगैल रहे । सागर से महि फोनमे डगर ओ ठाउँ बटैटि गैलाँ उहे अनसार मै डगर पैलैटि गैनु । मै कार्यक्रम हुइना ठाउँम पुग्नु टे उहाँ कुछ परक किसिमके चहल पहल रहे, कुछ  टिह्वार बा जस्टे लागटहे बरे डुरिक डुरिक पहुना आगैल रहिंट । मै फेन जाके एक पाँजर बैठनु । मोर चिन्हल पुरान मनै कलक सागर किल रहिंट ।  औरे जहनसे मजासे परिचय हुइल नै रहे ।


एक घचिक पाछे अङ्गना गिनोर भैठके चिन्हापर्चि कार्यक्रम हुइलागल । चिन्हापर्चि पाछे पटा चलल कि कत्रा डुरिक डुरिक पहुना ओइने आइटैं कना । कोइ दङ्गके, कोइ सुर्खेतके, कोइ बर्दियाके, कोेइ कैलाली कंचनपुरसे असिके बरे डुरिक डुरिक पहुना जुटल रहिंट । 


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एक घचिक पाछे बेरी खैना टयारी हुइल । खानपिन फेन बरे रमाइलो मेरिक रहे जस्ते कि कौनो नाचक चुकि चुक्कि खाइटि जस्ते महा ढेर मेरिक टिना,पिना ओ खैना ढैल रहे । अस्टके लावा पहुननके बगालेम बैठके खैना ओ पिना डुनु चलटहे । हमार आघे मच्छि टिना , घोँघी, गेक्टक चट्नि, सिकार, ढिक्रि, बर्या, पुरी, पकौरी असहेके डरु जाँरक झोर ओ छबुवा जाँर फेन चलाटहिँट । खैना पिना संगे मागर गित फेन उठैले रहिट । असिके उ बौरिजुनिक राट हँस्टि रमैटि गैटि बिटल । 


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बेरी खाके पठरी ओर लग्लि । ठकल जिउ अराम कर्नास सक्कुह लागट रहल हुइ । सबजे अपन अपन सुट्ना ठाउ ओर लग्ली । एक घचिक एहोर ओहोर कुछ संघरियनसे भेट कैगिल बरे मजा ज्ञ्यानगुनके बाट सुने ओ सिखे मिलल, अस्टके संघर्यन अपन निकारल कृटि के बारेम बाट करिट अपन लिखल लेख रचना के बारेम बट्ओइना करिट । मै संघरियनके माझेम कुछ नै रहुँ । ओनके टुलना मे मै भरखरिक अंख्वा जस्टे रहुँ ओहे मारे मै अपन लेख रचना के बारेम कुछ बोले नै सेक्नु काहेकि मै भरखर साहित्यमे गोमहन्या करटहुँ ओ कलम चलाई भिरल रहुँ । 


बनजरियामे साहित्य


साहित्यमे कत्रा भारी शक्तिबा कना उहे कार्यक्रमसे पटापैनु । मरल मुर्झाइल मनहे जिउजर करैना, झोंकरल मनैन टेङ्नार करैना डम साहित्यमे डेख्नु । रोइटि रहल मनैनके आँखिक आँस पोंछना, पट्थर जसिन मनहे मोम हस गलाडेना शक्ति साहित्यमे डेख्नु । अपन पुर्खौलि भेस भासा पहिरनहे अकाशके टोरैया जसिन चम्कैना शकति सहित्यमे पैनु । जब मै इ सब पटा पैनु महि कलम चलैना रोकेवाला कोइ नै रहे । 


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खुशिक बाट टे का रहेकि उहे बगालेम थारु फिलिम लावा जुनि, भुइहार, भुरभुरा रहर ओ टमाम छोट फिलिमे अपन भुमिका डेहल चर्चिट कलाकार छबिलाल कोपिला डाजु ओ रेडियो नेपाल सुर्खेत से प्रसारण हुइना बरे पुरान थारु कार्यक्रम हमार पहुरा के संचालक बिन्तिराम महटो लगाएट ढेर भारि भारि कलाकार साहित्यकार उपस्थित रहिंट ओ भेंट कर्ना मौका मिलल ।


बनजरियामे साहित्य


कार्टिक १७ गते बिहान हम्रे बनजरियाके सामुदायिक बनुवामे घुमफिर फेन कर्लि । दुके बाट का रहे कि उहे बिहानसे मोेर सक्कुहुनसे बिडा लेहेहस हुइल ।कार्तिक १७ गते ठिक्के शनिच्चर परल ओरसे मै उ कार्यक्रममे मजासे बैठे नै सेक्नु । कार्यक्रम १० बजे से सुरुहुइना रहे ओ ओहोर चर्च फेन १० से  लग्ना हुइलक मारे महि एकओर लागे पर्ना रहे । मै चर्च हे पहिला स्थान डेना हुइलक मारे एक डु घण्टाके लाग संगति ओर लग्नु । संगति पाछे मै फेनसे कार्यक्रम ओर डु बजे ओर पुग्गैनु । कार्यक्रम ठिक्के आढा होगैल रहे, नाच गान, साहित्य वाचन कार्टि रहिंट । चारुओर मनैनके भिरभार रहे थारु भेस पहिरनमे टर्नि बठिनियन संपरके एहोर ओहोर नेगटहिंट । एक ओर सखिया, झुमरा नाच फेन नच्टि रहिंट । कार्यक्रम चैनार चम्पन रहे, हजारौं के मनैनके भिर रहे ।




इ साहित्यिक कार्यक्रम मोर पहिला रहे ओ यहे कार्यक्रम महि इ साहित्यिक यात्रामे जोस भरडेहेल । अन्टमे मै उहाँसे एकठो भारी योजना पारके उहाँसे बिडा हुइनु । यहे २०७५ साल मै डु ठो किताब छपल रहेह । मोर पहिला पहुरा गजल संग्रह  अस्रा ओ डोसर कथा संग्रह लावा घर छपल । 


उहे बनजरिया मे भारि भारि साहित्यकार ओनसे भेट हुइलक सम्झना अभिन फोटु हेर्लेसे उहे रोज हस लागट । उहे कार्यक्रम हुइसह लागट, उहे संघर्यन संगे नेगे घुमे सह लागट ।    उहे शुभ सांझ हस लागट जोन संन्झा बेरिजुन हुइलक रमाइलो खानपिन अभिन सम्झबो टे ओसहे लागट । उ सुन्दर रात अभिन फेन हरेक राट ओसहे हस लागट । 


ओराइल ।


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संगम चौधरी 

पुर्नवास-२ कंचनपुर

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